नवरात्रि में जानिए कैसे तय होती है माता की सवारी?हाथी पर सवार होकर इस बार आ रही हैं मां दुर्गा

 नवरात्रि में जानिए कैसे तय होती है माता की सवारी?हाथी पर सवार होकर इस बार आ रही हैं मां दुर्गा
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नवरात्रि का त्योहार, मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का महापर्व, भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व रखता है. हर साल नौ दिनों तक चलने वाली इस पूजा में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की आराधना की जाती है. इन दिनों मां दुर्गा जिस वाहन पर सवार होकर आती हैं, उसका भी विशेष महत्व होता है. आपने अक्सर देखा होगा कि कभी मां दुर्गा हाथी पर, तो कभी घोड़े पर या अन्य किसी पशु पर सवार होकर आती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह कैसे तय होता है? आइए, इस रहस्य को विस्तार से समझते हैं।नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की सवारी का निर्धारण दिन (वार) के आधार पर किया जाता है. जिस दिन नवरात्रि का आरंभ होता है, उसी दिन के अनुसार माता की सवारी तय होती है।

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सोमवार (शशि) और रविवार (सूर्य): इन दिनों पर यदि नवरात्रि का आरंभ होता है, तो मां दुर्गा हाथी (गज) पर सवार होकर आती हैं. हाथी पर सवार होकर आने से सुख-समृद्धि और अच्छी वर्षा का संकेत मिलता है.

शनिवार (शनि) और मंगलवार (भौम): इन दिनों पर नवरात्रि शुरू होने पर माता की सवारी घोड़ा (तुरंग) होती है. घोड़े पर सवार होकर आना अक्सर युद्ध, राजनीतिक अस्थिरता या प्राकृतिक आपदाओं का संकेत माना जाता है.

गुरुवार (गुरु) और शुक्रवार (शुक्र): इन दिनों पर नवरात्रि का आरंभ होने पर माता की सवारी पालकी (डोला) होती है. पालकी में सवार होकर आने से सुख-शांति और समृद्धि की वृद्धि होती है.

बुधवार (बुध): इस दिन यदि नवरात्रि का प्रारंभ होता है, तो मां दुर्गा नाव (नौका) में सवार होकर आती हैं. नाव पर सवार होकर आना शुभ माना जाता है, जो भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति और अच्छे परिणाम का संकेत देता है।जिस तरह माता के आगमन की सवारी का महत्व है, उसी तरह उनके प्रस्थान (वापसी) की सवारी का भी विशेष महत्व होता है. नवरात्रि के अंतिम दिन, यानी विजयादशमी को, माता जिस दिन विदा लेती हैं, उसी दिन के अनुसार उनकी वापसी की सवारी निर्धारित होती है.

रविवार और सोमवार: भैंसा पर वापसी.
मंगलवार और शनिवार: मुर्गा पर वापसी.
बुधवार और शुक्रवार: हाथी पर वापसी.
गुरुवार: नर वाहन (मनुष्य) पर वापसी.
ये सवारियां भी भविष्य के संकेतों को दर्शाती हैं, जैसे कि भैंसे पर वापसी दुख और रोग का संकेत देती है, जबकि हाथी पर वापसी सुख-समृद्धि लाती है।

इस बार माता की सवारी कौन-सी?

पंचांग के अनुसार, साल 2025 में शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर, सोमवार से शुरू हो रही है, इसलिए मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं. इसका अर्थ है कि इस साल भरपूर वर्षा और खुशहाली के संकेत हैं.)

पौराणिक कथाओं में सवारी का महत्व:

यह सिर्फ ज्योतिषीय गणना नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी पौराणिक मान्यताएं भी हैं. मां दुर्गा के प्रत्येक रूप और उनकी सवारी का अपना विशेष अर्थ है. शेर, जो मां दुर्गा का मुख्य वाहन है, शक्ति और साहस का प्रतीक है. वहीं, नवरात्रि के नौ दिनों में बदलती हुई सवारियां ब्रह्मांड के चक्र और प्रकृति के बदलते स्वरूप को दर्शाती हैं।

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