बिहार चुनाव में महिला मतदाता बनेंगी गेमचेंजर!नीतीश कुमार की नीति आएगी काम?

बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का फोकस अपनी योजनाओं को जमीन पर उतारने पर होता जा रहा है, न कि केवल चुनावी प्रचार पर। खास तौर पर, नीतीश कुमार ने महिलाओं को केंद्र में रखकर कई नई सौगातें दी हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश ने अपनी रणनीति पहले ही तय कर ली थी और अब वह उन योजनाओं को लागू कर रहे हैं, जो उन्होंने अपनी महिला संवाद यात्रा के दौरान महसूस की थीं। माना जा रहा है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में महिला मतदाता ही असली गेमचेंजर साबित होंगी।ये हैं नीतीश की 7 बड़ी घोषणाएंपिछले दो महीनों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 7 ऐसी बड़ी घोषणाएं की हैं, जो महिलाओं को सीधे लाभ पहुंचाने वाली हैं।

इन योजनाओं के जरिए रोजगार, आर्थिक सशक्तिकरण, सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त करने की कोशिश की गई है। यह रणनीति आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर बनाई गई प्रतीत होती है, जिसका लक्ष्य महिला वोट बैंक को साधना है।Advertisement1: जीविका दीदियों को बड़ी राहत और प्रोत्साहननीतीश कुमार ने ग्रामीण महिलाओं को साधने के लिए बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत 1.40 लाख जीविका कर्मियों का मानदेय दोगुना कर दिया गया है। साथ ही, बैंक ऋण पर ब्याज दर को 10 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया गया है। यह फैसला ग्रामीण महिलाओं के बड़े समूह को लाभ पहुंचाने वाला है और इसे नीतीश कुमार का चुनावी मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है।2: मुख्यमंत्री कन्या विवाह मंडप योजनाराज्य सरकार ने 8,053 ग्राम पंचायतों में विवाह मंडप के निर्माण के लिए 50 लाख रुपये की स्वीकृति दी है। इन मंडपों के संचालन और देखरेख की जिम्मेदारी ग्रामीण महिलाओं को सौंपी जाएगी। इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि नेतृत्व क्षमता और सामाजिक भागीदारी भी बढ़ेगी। रणनीतिकार इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम मान रहे हैं, जो चुनावी दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।3: आशा और ममता कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाआशा कार्यकर्ताओं का मानदेय 1,000 रुपये से बढ़ाकर 3,000 रुपये और ममता कार्यकर्ताओं का मानदेय 300 रुपये से बढ़ाकर 600 रुपये कर दिया गया है। आशा फैसिलिटेटर के मानदेय में भी वृद्धि की गई है। इन फैसलों से करीब 1.20 लाख महिलाओं को सीधा लाभ मिलेगा। वर्तमान में बिहार में 91,094 आशा कार्यकर्ता, 4,364 आशा फैसिलिटेटर और 4,600 ममता कार्यकर्ता कार्यरत हैं। इसके अलावा, 29,000 नई आशा कार्यकर्ताओं की भर्ती प्रक्रिया भी चल रही है। यह नेटवर्क कुल मिलाकर 1.20 लाख महिलाओं का है, जो नीतीश को फायदा पहुंचा सकता है।बिहार में नीतीश कुमार ने महिलाओं के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई हैं।4: आंगनबाड़ी सेविकाओं को डिजिटल सहयोगआंगनबाड़ी सेविकाओं को मोबाइल खरीदने के लिए 11,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है। यह कदम डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ाने और महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि महिला संवाद यात्रा के दौरान नीतीश ने इस जरूरत को समझा, और अब यह फैसला चुनावी दांव के रूप में प्रभावी साबित हो रहा है।5: मुख्यमंत्री महिला स्वरोजगार योजनानीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री महिला स्वरोजगार योजना के तहत बिहार के हर परिवार की एक महिला को सशक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए 20,000 करोड़ रुपये का फंड बनाया गया है, जिसके तहत प्रत्येक परिवार की एक महिला को 10,000 रुपये का अनुदान दिया जाएगा, जिसे लौटाने की जरूरत नहीं होगी। यदि महिलाएं अपने व्यवसाय में सफल होती हैं, तो 6 महीने बाद उन्हें 2 लाख रुपये का ऋण भी मिल सकेगा। यह योजना सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, और अब यह देखना बाकी है कि यह महिला वोट बैंक को कितना प्रभावित कर पाती है।6: रसोइयों का मानदेय दोगुनास्कूलों में कार्यरत रसोइयों का मानदेय 1,600 रुपये से बढ़ाकर 3,300 रुपये कर दिया गया है। चूंकि इस क्षेत्र में ज्यादातर महिलाएं कार्यरत हैं, यह फैसला भी महिला मतदाताओं को सीधे प्रभावित करेगा। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार के ये हालिया फैसले आगामी चुनावों पर बड़ा असर डाल सकते हैं।7: महिला आरक्षण और डोमिसाइल नीतिनीतीश कुमार ने बिहार में पंचायतों और नगर निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण पहले ही लागू कर दिया था। इसके अलावा, सरकारी नौकरियों में पहले पुलिस सेवाओं में और बाद में सभी सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया। शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल नीति को लागू करने से भी महिलाओं को रोजगार और आत्मनिर्भरता की गारंटी मिली है।बिहार की महिलाओं ने पिछले विधानसभा चुनावों में पुरुषों से ज्यादा मतदान किया था।क्यों हैं महिलाएं नीतीश की रणनीति का केंद्र?2020 के आंकड़ों के अनुसार, बिहार में 3.39 करोड़ से अधिक महिला मतदाता हैं। पिछले कुछ वर्षों में महिला मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, और उनका सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव भी बढ़ा है। जीविका योजनाओं के जरिए महिलाएं परिवार में निर्णायक भूमिका निभा रही हैं। 2020 के चुनाव में पुरुषों की तुलना में 6 प्रतिशत अधिक महिलाओं ने मतदान किया था। तब 54 प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले 60 प्रतिशत महिलाओं ने वोट डाले थे। इस बार भी माना जा रहा है कि महिला मतदाता सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभाएंगी। यही वजह है कि नीतीश कुमार महिलाओं से जुड़ी योजनाओं पर खास फोकस कर रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ये योजनाएं बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कितना असर डाल पाती हैं और क्या महिला मतदाता वाकई नीतीश कुमार के लिए गेमचेंजर साबित होंगी।