इंडिया ने अमेरिका के साथ तेल खरीदना किया तेज,जानिए क्या है पीछे की वजह?

 इंडिया ने अमेरिका के साथ तेल खरीदना किया तेज,जानिए क्या है पीछे की वजह?
Sharing Is Caring:

ट्रंप की टैरिफ धमकियों के बीच भारत ने रूस से तो खरीदना जारी ही रखा साथ ही हाल ही में उसने खुद अमेरिका से कच्चे तेल की खरीद में तेजी लाई है. कंपटेटिव कीमतों के चलते भारतीय रिफाइनरियों ने इस महीने अमेरिका से कच्चे तेल की खरीद बढ़ा दी है. इस कदम से दोनों देशों के बीच तनाव के बीच अमेरिका के साथ देश के व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिल सकती है. एशिया में अमेरिकी कच्चे तेल के लिए आर्बिट्रेज विंडो खुलने के बाद, भारतीय रिफाइनरियों के साथ-साथ अन्य एशियाई रिफाइनरियों ने भी खरीदारी बढ़ा दी है.इसके अलावा, भारत पर अमेरिका से तेल खरीदने का दबाव भी बढ़ा है. अमेरिका ने रूसी तेल इंपोर्ट को लेकर भारत पर टैरिफ 50% तक बढ़ा दिया है.

1000579768

ऐसे में भारत अमेरिका के साथ अपने व्यापार घाटे को कम करने की कोशिश कर रहा है. IOC ने 5 मिलियन बैरल, BPCL ने 2 मिलियन बैरल और रिलायंस ने भी विटोल से 2 मिलियन बैरल तेल खरीदा. यूरोपीय व्यापारियों जैसे गनवोर, इक्विनोर और मर्कुरिया ने भी भारतीय कंपनियों को तेल बेचा.दिलचस्प बात ये है कि BPCL ने नाइजीरिया के यूटापेट क्रूड की भी पहली बार खरीद की है, ताकि अपने तेल भंडार में नए ग्रेड शामिल कर सके. ये कदम दिखाता है कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए अलग-अलग देशों से तेल खरीदने की रणनीति अपना रहा है. सस्ते दाम और अमेरिका के साथ बेहतर व्यापारिक रिश्तों की वजह से भारतीय रिफाइनरियां अब रूस के साथ-साथ अमेरिकी तेल पर भी फोकस कर रही हैं. इससे न सिर्फ लागत कम होगी, बल्कि वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति भी मजबूत होगी.भारत ने अमेरिका से क्रूड ऑयल खरीदने में तेजी जून तिमाही में लाई है. इस दौरान पिछले साल की तुलना में अमेरिका से तेल आयात करीब 114 प्रतिशत बढ़ा है. जून महीने में भारत ने डेली करीब 4.55 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल मंगाया जिसमें रूस की भागीदारी सबसे ज्यादा रही उसके बाद अमेरिका ने भी करीब 8 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ अपनी भूमिका निभाई.

Comments
Sharing Is Caring:

Related post