फ्लैट बेचने के नाम पर 500 करोड़ की वसूली,ईडी ने इस मामले में किए बड़े खुलासे

 फ्लैट बेचने के नाम पर 500 करोड़ की वसूली,ईडी ने इस मामले में किए बड़े खुलासे
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गुरुग्राम की एक रियल एस्टेट कंपनी पर ईडी ने शिकंजा कसा है. कंपनी ने लोगों को घर बेचे और फ्लैट बेचकर उनसे 500 करोड़ रुपये हासिल किए. इसी के बाद पैसे हासिल करने के बाद लोगों को धोखा दिया. ईडी ने इन लोगों पर एक्शन लिया है. साथ ही ईडी ने अपनी चार्जशीट में आरोप लगाया है कि इन लोगों ने करीब 205 करोड़ रुपये श्रीलंका में एक होटल प्रोजेक्ट में लगा दिए.केंद्रीय जांच एजेंसी देशभर में घर खरीदारों से जुड़ी कई धोखाधड़ी के मामलों की मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत जांच कर रही है. इनमें से ज्यादातर मामले दिल्ली (एनसीआर) में दर्ज हुए हैं, क्योंकि यहां रियल एस्टेट सेक्टर तेजी से बढ़ा है. यह जांच खासतौर पर कृष रियलटेक नाम की कंपनी, इसके प्रमोटर अमित कटियाल और कुछ अन्य लोगों से जुड़ी है.

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कटियाल को ईडी ने 2023 में एक अन्य मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था, जो रेलवे की कथित जमीन के बदले नौकरी (लैंड फॉर जॉब स्कैम) घोटाले से जुड़ा है. इस मामले में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और अन्य पर भी आरोप हैं.ईडी के गुरुग्राम जोनल कार्यालय ने जुलाई में इस समूह और इसके प्रमोटरों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी और स्थानीय विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) अदालत ने 19 अगस्त को आरोपियों को नोटिस जारी किया.ईडी ने मामले में किए बड़े खुलासेईडी ने अपने बयान में कहा, जांच में पाया गया कि आरोपी अमित कटियाल ने भोले-भाले प्लॉट खरीदारों को अपने प्रोजेक्ट्स में बुकिंग कराने के लिए लालच देकर धोखाधड़ी की. उनकी कंपनी ने बिना वैध लाइसेंस लिए ही 400 से अधिक ग्राहकों से 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम वसूल की.ईडी का आरोप है कि इस धोखाधड़ी से पैदा हुई अपराध की आय को तुरंत ही कटियाल और उनके परिवार की ओर से चलाई जा रही शेल कंपनियों (कागज़ी कंपनियों) और उनके व्यक्तिगत खातों में ट्रांसफर कर दिया गया. इन शेल कंपनियों में उन्होंने डमी निदेशकों की नियुक्ति की और इन कंपनियों के नाम पर कई अचल संपत्तियां खरीदी गईं.ईडी ने बताया कि घर खरीदारों से वसूली की गई 205 करोड़ रुपये की रकम को एक शेल कंपनी महादेव इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में एक रियल एस्टेट-कम-होटल प्रोजेक्ट में लगा दिया गया.इसके अलावा, इस रकम का कुछ हिस्सा कथित फ्रंट कंपनियों जैसे गुड अर्थ प्रा. लि., द वन ट्रांसवर्क्स स्क्वायर प्रा. लि. (श्रीलंका स्थित कंपनी), हेवेन ट्रेडलिंक प्रा. लि. और प्रमोटरों के परिवारजनों- कर्मचारियों के नाम पर जमीन, फ्लैट और बाकी संपत्तियां खरीदने में भी इस्तेमाल किया गया.जांच में यह भी पाया गया कि कटियाल का बेटा, जिसने सेंट किट्स एंड नेविस की नागरिकता ले ली है, श्रीलंका में स्थित संपत्तियों का स्वामित्व होने का दावा कर रहा है. ईडी का यह मनी लॉन्ड्रिंग मामला दिल्ली पुलिस और गुरुग्राम पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की ओर से दर्ज की गई FIR से जुड़ा है.इस मामले में ईडी ने पिछले साल छापेमारी की थी और कई संपत्तियों को अटैच किया था. इसमें श्रीलंका का रियल्टी प्रोजेक्ट, गुरुग्राम के सेक्टर 63, 65 और 70 की जमीनें और दिल्ली की कुछ अचल संपत्तियां शामिल हैं.ईडी ने कहा कि इस रियल्टी फ्रॉड को अंजाम देने के लिए प्रमोटरों ने जिस मोडस ऑपरेंडी का इस्तेमाल किया, उसमें कटियाल की असली मंशा खरीदारों को प्लॉट देने की कभी नहीं थी. खरीदारों को 70 एकड़ जमीन पर प्लॉट देने का वादा किया गया था, जिसकी मौजूदा बाजार कीमत करीब 2,000 करोड़ रुपये है. लेकिन, इसके बजाय उन्होंने असली खरीदारों को जमीन से वंचित करने के लिए कई चालें चलीं. एक ही जमीन को कई निवेशकों को अलॉट करना, काल्पनिक लेनदार बनाना ताकि एनसीएलटी (NCLT) में पहले से तैयार की गई दिवालिया याचिका दाखिल की जा सके.ईडी कर रही मामले की जांचसुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त रैफरी के सामने खरीदारों की सूची में जानबूझकर गलत जानकारी पेश करना. ईडी ने कहा कि खरीदारों ने कंपनी की इस याचिका का एनसीएलटी में विरोध किया, जिसके बाद प्रमोटरों को इसे वापस लेना पड़ा.एजेंसी ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से खरीदारों के दावे और आपत्तियां सुनने के लिए गठित जस्टिस गीता मित्तल समिति के सामने जो खरीदारों की सूची जमा की गई थी, वह प्रमोटरों के फायदे के लिए फर्जी साबित हुई. ईडी ने कहा, कुछ खरीदारों के नाम हमें मिले, जिन्हें समिति के सामने जमा की गई सूची में शामिल ही नहीं किया गया था और इसे प्रमोटरों की धोखाधड़ी करार दिया.

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