नया रिकॉर्ड कायम करने के लिए तैयार है तेजस्वी,सीएम बनने की राह पर दिख रहे है आगे

बिहार विधानसभा चुनाव में एक बार फिर महागठबंधन से फिर से तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने की मांग है. अगर इस बार भी वो सीएम उम्मीदवार बनाए जाते हैं तो तीसरी बार है जब तेजस्वी सीएम पद की दौड़ में होंगे. लेकिन अब भी उनके सामने वही पुरानी चुनौती है-46 साल से अटूट कर्पूरी ठाकुर का रिकॉर्ड!बिहार में 46 साल से कर्पूरी ठाकुर के नाम अनोखा सियासी रिकॉर्ड कायम है.

कर्पूरी ठाकुर ऐसे इकलौते डिप्टी सीएम रहे जो बाद में मुख्यमंत्री बने. 5 मार्च 1967 से 31 जनवरी 1968 तक वे महामाया प्रसाद सिन्हा की सरकार में डिप्टी सीएम रहे और फिर दो बार मुख्यमंत्री बने-22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 और 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 तक.सुशील कुमार मोदी बिहार के सबसे लंबे कार्यकाल वाले डिप्टी सीएम रहे. वे तीन बार इस पद पर रहे-2005, 2010 और 2017 में. 2015 में एनडीए के अघोषित मुख्यमंत्री उम्मीदवार भी बने, लेकिन बहुमत न मिलने से सीएम नहीं बन पाए. सुशील मोदी के बाद भी कई नेता डिप्टी सीएम बने, लेकिन कोई मुख्यमंत्री नहीं बन सका.तेजस्वी यादव दो बार डिप्टी सीएम रहे हैं. पहली बार 20 नवंबर 2015 से 26 जुलाई 2017 तक और दूसरी बार 10 अगस्त 2022 से जनवरी 2024 तक. 2020 में भी महागठबंधन के सीएम उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े, लेकिन 12,000 वोटों से नीतीश कुमार के हाथ सत्ता चली गई. इस बार वे 2025 विधानसभा चुनाव में फिर से सीएम पद के लिए मैदान में हैं।रेणु देवी और तारकिशोर प्रसाद बिहार के डिप्टी सीएम रह चुके हैं, सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा भी वर्तमान में उपमुख्यमंत्री हैं, लेकिन सीएम नहीं बन पाए. नीतीश कुमार के पाला बदलने से इनकी राजनीतिक स्थिति बदलती रही है।तेजस्वी के माता-पिता दोनों मुख्यमंत्री रह चुके हैं. वे 26 साल की उम्र में डिप्टी सीएम बने और दो बार नेता प्रतिपक्ष भी रहे. 2015 और 2020 में लगातार राघोपुर से विधायक चुने गए. महागठबंधन में उनके नाम पर सहमति है और कई सर्वे में वे सबसे आगे हैं.नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की जोड़ी उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है. नीतीश के साथ रहने वाले दल की ही सरकार बनने का रिकॉर्ड है. विपक्ष उन्हें जंगल राज से जोड़ता है और उनकी शैक्षणिक योग्यता पर भी सवाल उठते हैं. अब बड़े भाई तेज प्रताप यादव भी राजनीतिक चुनौती बढ़ा रहे हैं।2020 में तेजस्वी ने रोजगार के मुद्दे पर चुनाव लड़ा था और सरकार बनाने के करीब पहुंच गए थे. इस बार वे हर वर्ग के लिए वादों के साथ मैदान में हैं और नीतीश कुमार पर योजनाओं की नकल करने का आरोप भी लगा रहे हैं. अब देखना है कि क्या जनता उन्हें कर्पूरी ठाकुर का रिकॉर्ड तोड़ने का मौका देती है या नहीं?