बक्सर विधानसभा में इस बार चुनावी मुकाबला रहेगा काफी दिलचस्प,बीजेपी रहेगी पीछे?

 बक्सर विधानसभा में इस बार चुनावी मुकाबला रहेगा काफी दिलचस्प,बीजेपी रहेगी पीछे?
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए निर्वाचन आयोग जहां SIR के बाद वोटर लिस्ट को फाइनल करने की तैयारी में जुटा है वहीं, राजनीतिक दल भी चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं। पार्टियों के सीनियर नेता जहां जनसभा कर रहे हैं वहीं, संभावित उम्मीदवार भी जनता के बीच जा रहे हैं। बक्सर में भी चुनावी मुकाबले के लिए मंच तैयार है, क्योंकि राजनीतिक दल इस निर्वाचन क्षेत्र को जीतने के लिए कमर कस रहे हैं।बक्सर विधानसभा सीट बिहार के बक्सर जिले में आती है। यह सामान्य सीट है। बक्सर विधानसभा क्षेत्र में चुनावी लड़ाई अक्सर दिलचस्प होती है। जिसमें कांटे की टक्कर, अप्रत्याशित परिणाम और कम अंतर से हार जीत बार-बार देखने को मिलती हैं। बक्सर की साक्षरता दर 83.82 प्रतिशत है। यहां पर अनुसूचित जाति के मतदाता लगभग 14.38 प्रतिशत हैं, जबकि मुस्लिम मतदाता 7.3 प्रतिशत हैं। ग्रामीण मतदाता कुल मतदाताओं का 71.92 प्रतिशत हैं, जबकि केवल 28.08 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में रहते हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में, बक्सर निर्वाचन क्षेत्र में 289,997 मतदाता थे। 2024 के लोकसभा चुनाव तक, मतदाताओं की संख्या मामूली रूप से बढ़कर 289,589 हो गई। चुनाव आयोग द्वारा 2025 की मतदाता सूची को अंतिम रूप दिए जाने पर इस संख्या में थोड़ी वृद्धि होने की उम्मीद है।2020 में यह निर्वाचन क्षेत्र कांग्रेस ने जीता था। कांग्रेस उम्मीदवार संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने भाजपा के परशुराम चौबे को 3,892 मतों से हराया था। 2024 के लोकसभा चुनावों में आरजेडी के उम्मीदवार सुधाकर सिंह ने बीजेपी के मिथिलेश तिवारी को 30091 मतों के अंतर से हराकर बक्सर लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी।बक्सर विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी और तब से यहां पर 17 चुनाव हुए हैं। कांग्रेस ने इस सीट पर 10 बार जीत हासिल की है, जिसमें 2015 और 2020 के पिछले दो चुनाव शामिल हैं। पिछले सात चुनावों में भाजपा ने तीन बार यह सीट जीती और शेष चार मौकों पर दूसरे स्थान पर रही।

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2015 में 10,181 मतों से सीट हारने के बाद भाजपा ने 2020 में अपना उम्मीदवार बदल दिया, जिससे उसे हार का अंतर काफी कम करने में मदद मिली। सीपीएम ने 1990 और 1995 में लगातार दो बार यह सीट जीती थी, जबकि संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (1967) और बहुजन समाज पार्टी (2005) ने एक-एक बार जीत हासिल की थी।बक्सर में चुनावी लड़ाई इस बार दिलचस्प रहने वाली है। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर बक्सर के ही रहने वाले हैं। उनकी पार्टी जन सुराज भी इस बार अपना दमखम दिखाने के लिए तैयार है।

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