तेजस्वी का खुला पोल,जानिए क्या था पूरा मामला
बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शनिवार को एक प्रेस कांफ्रेंस करके चुनाव आयोग के ऊपर हमला किया. इसमें उन्होंने SIR को लेकर के कई बातें भी कही. इसी क्रम में तेजस्वी यादव ने यह कहा था कि उन्होंने मतदाता सूची में अपने नाम की जांच की थी लेकिन वह उन्हें नहीं दिखा. तेजस्वी यादव के कहने का यह मतलब था कि मतदाता सूची में उनका नाम नहीं है.तेजस्वी यादव के इस बयान के बाद राज्य में राजनीतिक घमासान छिड़ गया. तुरंत चुनाव आयोग के साथ-साथ जिला निर्वाचन पदाधिकारी ने भी इस बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध करा दी. अब इसी मामले में तेजस्वी यादव एक नए झमेले में फंसते हुए दिखाई दे रहे हैं.

दरअसल तेजस्वी यादव के मामले में अब यह बातें भी सामने आ रही है कि उनका इलेक्टोरल फोटो आइडेंटिटी कार्ड (EPIC) नंबर एक नहीं बल्कि दो है. तेजस्वी यादव का पहला एपिक नंबर RAB29161200 है जबकि दूसरा RAB0456228 है.दरअसल नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के द्वारा जो EPIC नंबर और वोटर आई कार्ड नंबर दिया गया है वह RAB2916120 है, जबकि चुनाव आयोग और पटना निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी के द्वारा जो जारी किया गया है उसका EPIC नंबर RAB0456228 है.चुनाव आयोग देश के सभी रजिस्टर्ड मतदाताओं को एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान करता है. यह संख्या वोटर आईडी कार्ड पर रहती है. इसे वोटर आईडी या EPIC नंबर कहते हैं. एपिक नंबर यह साबित करता है कि मतदाता भारत में एक रजिस्टर्ड मतदाता है. चुनाव के दौरान अपना मत डालने के लिए एपिक मतदाता सूची में मौजूद होना चाहिए.बिहार की सत्ताधारी पार्टी जेडीयू के नेता और प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि तेजस्वी यादव दो-दो चुनाव पहचान पत्र रखे हुए हैं. इसकी जांच होनी चाहिए. सक्षम प्राधिकार जांच करे, तेजस्वी यादव दो-दो वोटर कार्ड रखे हुए हैं. उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव ने पहले कौटिल्य नगर के पते पर 2014 में वोटर कार्ड बनवाया था. बाद में उनका पता 10 सर्कुलर रोड, पटना हो गया.वहीं, बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने भी तेजस्वी यादव के बयान पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि जैसे पिता (लालू यादव वैसे ही पुत्र (तेजस्वी यादव) हैं. झूठ बोलने की सबसे बड़ी ठेकेदारी इन्होंने ली है. ये लोग एक तरफ संविधान की किताब लेकर चलते हैं और दूसरी तरफ संवैधानिक संस्था (चुनाव आयोग) को अपमानित करेंगे. इन लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए. इतनी स्वतंत्रता उचित नहीं है कि कोई भी अपने संविधान और संवैधानिक संस्था पर हमला कर सके।
