कुछ ऐसी फिल्म है सन ऑफ सरदार 2,जानिए फिल्म का रिव्यू

13 साल पहले यानी 2012 में ‘सन ऑफ सरदार’ ने जब दर्शकों को हंसाया था, तब वो एक ऐसा दौर था जब ऐसी फिल्में बहुत कम बनती थीं. वो एक क्लीन कॉमेडी फिल्म थी, जिसने दर्शकों को हंसा-हंसाकर लोटपोट कर दिया था. अब सालों बाद एक बार फिर अजय देवगन ने जस्सी के किरदार के साथ वापसी की है. क्या ‘सन ऑफ सरदार 2’ भी वही जादू दोहरा पाएगी? क्या ये फिल्म आपको आपकी रोजमर्रा की ज़िंदगी के गम भुलाकर सिर्फ हंसने पर मजबूर कर देगी? अगर आप इन्हीं सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं, तो चलिए विस्तार से जानते हैं कि अजय देवगन, मृणाल ठाकुर और विजय कुमार अरोड़ा की ये फिल्म कैसी है।कहानी की शुरुआत वहीं से होती है, जहां जस्सी (अजय देवगन) की शादी हो चुकी है. लेकिन उसकी पत्नी (नीरू बाजवा) उससे तलाक चाहती है.

बीवी के दिए धोखे के बाद लंदन में यहां-वहां भटक रहे जस्सी की मुलाकात पाकिस्तानी रबिया (मृणाल ठाकुर) से होती है. रबिया अपनी बेटी और परिवार के साथ लंदन में रहती है, राबिया की बेटी को संधू परिवार के बेटे से प्यार हो जाता है. देशभक्त संधू परिवार को पाकिस्तानी लोगों से नफरत है. ऐसे में, रबिया की मदद करने के लिए जस्सी, उसकी पाकिस्तानी लड़की का सरदार बाप बनने का नाटक करता है. अब आगे क्या धमाल होता है, ये जानने के लिए आपको सिनेमाघरों में जाकर ‘सन ऑफ सरदार 2’ देखनी होगी।वैसे तो ये फिल्म बड़ी मजेदार है. लेकिन इसे देखकर आपको पंजाबी सिनेमा की याद आएगी, और ऐसा होना लाजिमी भी है. निर्देशक विजय कुमार अरोड़ा ने इसे बिल्कुल पंजाबी फिल्मों वाला ट्रीटमेंट दिया है. अगर आप एक आम दर्शक हैं, जो बस सब कुछ भूलकर हंसना चाहता है, तो यह फिल्म आपके लिए एक अच्छा विकल्प है. हंसी की कई जगहें ऐसी हैं, जहाँ आप पेट पकड़कर हंसेंगे, वहीं कुछ मौकों पर आप खुशी से वाह-वाह भी करेंगे.लेकिन अगर आप उन दर्शकों में से हैं, जो हर फिल्म को परखते और जज करते हैं, तो ये फिल्म आपको पसंद नहीं आएगी. इसमें कई जगह चुटकुले इतने खराब हैं कि आप हंसते नहीं, बल्कि ‘ये क्या है?’ कहकर हंसते हैं. अगर आपको पीजे पसंद नहीं तो, कई जगह कुछ जोक्स आपको इतने खराब लग सकते हैं कि आप अपना सिर पकड़ लेंगे. हालांकि, पूरी फिल्म में आप कहीं भी बोर नहीं होते।अगर आप एक आम इंसान हैं, जो अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से कुछ पल की छुट्टी लेकर बस हंसना चाहता है, तो ये फिल्म आपके लिए है. इसमें आपको दिमाग लगाने की जरूरत नहीं, बस जाएं और हंसें. यह एक ऐसी ‘नो-ब्रेनर’ कॉमेडी है, जहां कलाकारों की उम्दा एक्टिंग और कुछ बेहतरीन जोक्स आपका दिन बना देंगे. लेकिन, अगर आप एक ऐसी कॉमेडी फिल्म की तलाश में हैं जो नई सोच, बेहतर स्क्रिप्ट और दमदार निर्देशन के साथ-साथ कुछ मैसेज भी देती हो, तो ये फिल्म शायद आपके लिए नहीं है. इसमें कुछ सीन्स और जोक्स आपको निराश कर सकते हैं.कुल मिलाकर, ‘सन ऑफ सरदार 2‘ उन लोगों के लिए है जो सिर्फ दो घंटे हंसना चाहते हैं, भले ही इसके लिए उन्हें अपने दिमाग को घर पर छोड़ना पड़े. अगर आप ऐसी फिल्म देखते हुए ये सब महसूस नहीं करते हैं, तो ये एक अच्छा वीकेंड वॉच हो सकता है. बाकी, अगर आप इस तरह की कॉमेडी से आगे बढ़ चुके हैं, तो शायद इस फिल्म से दूरी बनाना ही बेहतर हो।