2008 मालेगांव मामले में आज आएगा फैसला,साध्वी प्रज्ञा की बढ़ सकती है मुश्किलें

17 साल के इंतजार के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत गुरुवार को 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में अपना फैसला सुना सकती है. अदालत ने अभियोजन और बचाव पक्ष की ओर से सुनवाई और अंतिम दलीलें पूरी करने के बाद 19 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.अदालत ने कहा कि सुनवाई अप्रैल में समाप्त हो गई थी, लेकिन मामले की विशाल प्रकृति को देखते हुए जिसमें एक लाख से अधिक पृष्ठों के साक्ष्य और दस्तावेज शामिल हैं. फैसला सुनाने से पहले सभी रिकॉर्डों को देखने के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता है. मामले के सभी आरोपियों को फैसले के दिन अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है।अदालत ने यह भी चेतावनी दी है कि उस दिन अनुपस्थित रहने वाले किसी भी आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

इस मामले में कुल सात व्यक्ति मुकदमे का सामना कर रहे हैं, जिनमें लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और सेवानिवृत्त मेजर रमेश उपाध्याय शामिल हैं.उन पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं. सभी आरोपी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. यह विस्फोट 29 सितम्बर 2008 को महाराष्ट्र के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील शहर मालेगांव में रमजान के पवित्र महीने के दौरान और नवरात्रि से ठीक पहले हुआ था.विस्फोट में छह लोगों की जान चली गई और 100 से अधिक लोग घायल हो गए. एक दशक लंबे मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों से पूछताछ की, जिनमें से 34 अपने बयान से पलट गए. प्रारंभिक जांच की भूमिका महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने निभाई थी.हालांकि, 2011 में जांच एनआईए को सौंप दी गई. एनआईए ने साल 2016 में अपर्याप्त सबूतों का हवाला देते हुए प्रज्ञा सिंह ठाकुर और कई अन्य आरोपियों को बरी कर दिया और एक आरोप पत्र दायर किया. घटना के लगभग 17 वर्ष बाद जारी किए गए इस फैसले का बहुत अधिक इंतजार किया जा रहा है तथा इसके महत्वपूर्ण कानूनी और राजनीतिक परिणाम होने की संभावना है।