जानिए भगवान शिव के आराधना का महत्व,क्यों होता है सावन का महीना इतना खास?

श्रावण माह की शुरुआत होते ही शिवालयों में ओम नम: शिवाय, हर हर महादेव, बम बम भोले की गूंज सुनाई देने लगी है. भक्त सुबह से शिव मंदिर पहुंचकर भोले की भक्ति में डूब गए हैं. दूध, दही, शहद, घी, जल, बेलपत्र, फूल अर्पित कर भगवान भोले को हर कोई प्रसन्न करने में लगा है.आइए जानते है आखिरकार सावन में क्यों होती है भगवान शिव की पूजा?भगवान भोलेनाथ प्रकृति के देवता माने जाते हैं. इसलिए सावन माह में प्रकृति की पूजा के रूप में महादेव की पूजा की जाती है. प्रकृति से हमें सब कुछ मिलता है. सनातन परंपरा में प्रकृति पूजा को सर्वोच्च बताया गया है. इसलिए सावन के महीने में प्रकृति के देवता भगवान शिव की पूजा होती है।पुराणों ने ये भी बताया गया है कि सावन महीने में ही भगवान भोलेनाथ ने विषपान किया था.

इसके बाद उन्हें शांत करने के लिए बारिश के देवता इंद्र ने उनपर वर्षा की. यहीं वजह है कि कांवड़िए नदियों का जल लेकर शिवलिंग पर अर्पित करते हैं. ये भी कहा जाता है कि घोर तपस्या के बाद श्रावण मास में ही माता पार्वती ने भगवान शिव को पाया।सावन महीने में इस बार चार सोमवार पड़ रहे हैं.सावन माह शुरू होने के बाद पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ रहा है. दूसरा सोमवार 21 जुलाई को, तीसरा सोमवार 28 जुलाई और चौथा और आखिरी सोमवार 4 अगस्त को पड़ रहा है. 9 अगस्त को श्रावण मास खत्म हो जाएगा।कहा जाता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करना बहुत आसान है. वे बहुत ही आसान पूजा से अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं.सावन माह में भगवान भोले को प्रसन्न करने के लिए सुबह सबसे पहले स्नान ध्यान करें. साफ कपड़े पहने. भगवान शिव को समर्पित वैदिक मंत्रों का जाप कर शिव आराधना करें. देसी घी का दीया जलाए और ओम नम: शिवाय का जाप करे. इस दिन कई लोग शिव चालीसा का पाठ भी करते हैं. मंदिर में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए जल, दूध, दही ,घी, शक्कर, धतूरा और कनेर के फूल चढ़ाए जाते हैं. भगवान शिव की कृपा पाने के लिए इस दिन कई लोग रुद्राभिषेक भी कराते हैं. जिससे भगवान भोलेनाथ भक्तों की मनोकामना पूरी करने के साथ ही मनवांछित फल भी देते हैं।