कन्हैया कुमार और पप्पू यादव को लेकर बोले प्रशांत किशोर,बिहार में कांग्रेस का जनाधार नहीं चाहते है तेजस्वी

 कन्हैया कुमार और पप्पू यादव को लेकर बोले प्रशांत किशोर,बिहार में कांग्रेस का जनाधार नहीं चाहते है तेजस्वी
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बिहार में चुनाव आयोग की ओर से चलाए जा रहे मतदाता सूची संशोधन अभियान के खिलाफ महागठबंधन ने बंद का ऐलान किया था। इस दौरान राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने भी पटना में विरोध प्रदर्शन भाग लिया। हालांकि, इस प्रदर्शन के दौरान सुरक्षाकर्मियों ने NSUI के राष्ट्रीय प्रभारी कन्हैया कुमार और पप्पू यादव को ट्रक पर चढ़ने नहीं दिया गया जिसका वीडियो वायरल हो गया और ये मुद्दा चर्चा का विषय बन गया। अब इस मुद्दे और कन्हैया कुमार को लेकर जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने बड़ी बात कही है। प्रशांत किशोर ने कहा है कि राजद नेतृत्व कन्हैया कुमार जैसे लोगों से डरा हुआ है।जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने सीतामढ़ी में कहा, “कन्हैया कुमार बिहार में कांग्रेस पार्टी के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं…राजद का नेतृत्व कन्हैया कुमार जैसे लोगों से इतना घबराता है कि उन्हें लगता है कि अगर कोई नया व्यक्ति आ जाएगा, तो वह नेतृत्व को चुनौती देगा। राजद कभी नहीं चाहेगा कि उनके जैसे नेता या अन्य प्रभावशाली नेता कांग्रेस में सक्रिय हों…कांग्रेस का बिहार में कोई आधार नहीं है…बिहार में कांग्रेस केवल वही करती है जो राजद का नेतृत्व तय करता है।”जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने कहा, “वोटर लिस्ट के विरोध में बहुत से लोग हैं। अभी 1 साल पहले बिहार में चुनाव हुआ है।

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चुनाव आयोग ने ही वोटर लिस्ट बनाया। प्रधानमंत्री का चुनाव हुआ है। 1 साल में ऐसा क्या हो गया कि पूरे लिस्ट में पुनरीक्षण की जरूरत है? हम लोगों की तो यही मांग है कि 2024 में लोकसभा चुनाव के लिए जिस लिस्ट का इस्तेमाल हुआ है उसी का इस्तेमाल यहां भी होना चाहिए। उसमें संशोधन कर सकते हैं… पिछले 1 साल से बिहार में NDA की सरकार है तो क्या ये स्वीकार कर रहे हैं कि इनके कार्यकाल में घुसपैठिए बिहार में रह रहे हैं।”प्रशांत किशोर ने कहा है कि संविधान का अनुच्छेद 326 वोट देने का अधिकार देता है। भारत में 18 वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक पात्र भारतीय नागरिक को वोट देने का मौलिक अधिकार है। इसी तरह हम कह रहे हैं कि 18 वर्ष से अधिक आयु के बिहार के प्रत्येक नागरिक को आगामी चुनावों में वोट देने का अधिकार होना चाहिए। आप उसे इस बेकार दस्तावेज में फंसाकर उससे वंचित नहीं कर सकते। चुनाव आयोग को नागरिकता जांचने का कोई अधिकार नहीं है। यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला है। यह चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।”

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